शापित आईना
अदिति... अरे ओ अदिति................... मेरा प्रमोशन ही गया और साथ साथ,स्थानांतरण भी । अंदाज लगाओ कहां हुआ होगा,?अंकुर घर के अंदर आता हुआ ,खुशी से चिल्लाया।
राजगीर _ अदिति बोली ।
हां अदिति _राजगीर ,अंकुर बोला ।आज दोहरी खुशी मिली है तो ,इसी बात पर आज का डिनर हम बाहर लेते है।
सात दिनों की छुट्टी भी है। पैकिंग भी करनी होगी,_अंकुर ने कहा।
लेकिन अंकुर .... इतनी जल्दी ....खुशी के मारे अदिति उछल रही थी।
अरे बाबा सब हो जाएगा,परेशान ना हों।
मूवर्स एंड पैकर्स को मैंने फोन कर दिया है ,हम कल अपना पूरा समय मूवी,रिश्तेदारों के घर गुजारेंगे,और देखना लौट के सब सामान पैक हो चुका होगा।
चलो नहीं तो डिनर के लिए देर हो जाएगा।
तीसरे दिन वे लोग पटना से राजगीर करीब 3 घंटे का सफर कर कार से पहुंचे।
घर ऑफिस द्वारा आवंटित था।सामान पहुंच ही चुका था।
ज्वाइनिंग के लिए अभी 4 दिन बाकी थे।
दोनों ने मिलकर अगले दिन सामान व्यवस्थित किया।लंच और डिनर,ऑफिस के मेस से आ गया था।
अगले दिन वे लोग राजगीर घूमने निकले ,अदिति बचपन से ही नई नई जगह घूमने की शौकीन थी।
राजगीर प्रसिद्ध है ,अपनी खूबसूरत नैसर्गिक सुंदरता, गर्म पानी का कुंड, गृद्धकूट पर्वत,(जहां बौद्ध संगिती हुई थी),शांति स्तूप,जापानियों द्वारा स्थापित बौद्ध विहार।
दिन भर वे राजगीर में घूमते रहे ,रात को लौट कर आए तो दोनों थक के चूर थे,खाना दोनों ने बाहर ही खा लिया था,इसलिए जल्दी ही नींद ने आगोश में ले लिया।
अगले दिन वे सोन गुफा घूमने निकले,कहा जाता है ,की यहां जरासंध ने अकूत संपति,सोना चांदी रखा था।
लेकिन गुफा के बाहर , कूट भाषा में उसके खोलने के बारे में लिखा है। इस दरवाजे को खोलने के लिए कई बार प्रयास हुए,हमले हुए
,इतना तक की अंग्रेजों ने उसपर तोप से दरवाजा तोड़ने की कोशिश की थी लेकिन सब निरर्थक गुफा का दरवाज़ा किसी तरह भी नहीं खुला।
अदिति बहुत ध्यान से कूट भाषा को देख ही रही थी , कि तभी एक बुढ़िया उसके नजदीक आयी,उसका चेहरा अत्यंत भयानक था,वो आइना बेच रही थी।
अदिति के पीछे लग गई कनिया (बहू), एगो आईना ले लियो न _बुढ़िया बहुत मीठे,और चेहरे पर लाचारी ओढ़े बोली।
अनुज ने कहा ले लो,अदिति गरीब की मदद हो जाएगी
अदिति ने आइना खरीद लिया।
घर लौट कर उसने बेडरूम में शीशा लगा दिया।
दो दिन तक कुछ भी नहीं हुआ। एक दिन अंकुर की रात की ड्यूटी थी ,अंकुर ने अदिति से अच्छे से दरवाज़ा बंद करके सोने को कहा।
अदिति दरवाज़ा बंद करके सोने गई ।अचानक रात 2 बजे के करीब उसकी नींद खुली,वो पसीने पसीने थी।शायद कोई भयानक सपना देख लिया था,उठकर पानी पिया।
तभी उसे फुसफुसाने की आवाज़ आती कोई उसे बुला रहा था..........।उसने चौंक कर इधर उधर देखा ,ये आवाज़ शायद आइने से आ रही थी।........
अदिति डर गई ......।
अदिति डरते डरते आगे बढ़ रही थी।
आवाज़ और साफ आ रही थी।अदिति आइने के सामने खड़ी होती है,तो उसमे एक रास्ता दिखता है।
वो आइने में घुस जाती है।और दूसरे लोक में पहुंच जाती है।
वहां उसे ,अनुज एक खूबसूरत लड़की के साथ दिखता है।
वे दोनों खूब हंस हंस के बातें कर रहे थे।
वह सुन पा रही थी,अनुज ,उस लड़की को हंस हंस कर बता रहा था,मैंने अदिति को रात की ड्यूटी बता कर आया हूं ,वो बेवकूफ क्या जाने कि मैं यहां तुम्हारे साथ अपनी रात रंगीन बना रहा हूं ।
वो तो बेचारी भोली है। दोनों जोर का ठहाका लगाते हैं।
फिर उस लड़की (,जिसका नाम सारिका अनुज पुकार रहा था) ने कहा ,कब पीछा छूटेगा तुम्हारी पत्नी से, मैं तो तंग आ गई हूं,इस लुकाछिपी के खेल से।
क्या कह रही हो,सारिका ,पड़ी रहने दो उसे भी एक कोने में ,उसे मेरे उपर बहुत विश्वास है,पति परमेश्वर मानती है मुझे ,और जोर से हंसता है ।
अदिति सन्न थी ,ये क्या खेल हो रहा,मेरे पीठ पीछे।
वह धीरे से वापस निकल आयी आइने से।
किसी तरह रात बीती।
सुबह अंकुर ड्यूटी से वापस आया,बहुत थका था। जल्दी मुंह ,हाथ धो अखबार ले सोफे पर पसर गया।
अदिति को उसका व्यवहार बेगाना सा लग रहा था।
अदिति ने पूछा ये सारिका कौन है? अंकुर हड़बड़ाया
,उसने कहा वो मेरी अधीनस्थ है,पर तुम्हे कैसे मालूम ??
नए ऑफिस के लोगों के बारे में तुम्हे कैसे पता?
अदिति कुछ बोली नहीं । अंकुर ने सन्नाटा तोड़ा ,उसने कहा ,अदिति आज घूमने जाओगी क्या?
अदिति ने कहा _ नहीं।
अंकुर की 15दिन ,दिन की और 15 दिन रात की ड्यूटी थी,इसलिए वह लंच कर दोपहर की नींद लेने लगा।
रात को अंकुर फिर ड्यूटी को तैयार हुआ।अदिति ने उसे विदा किया और थोड़ी देर किताब पढ़ सो गई।
फिर रात को अजीब फुसफुसाहट की आवाज़ सुन वह जागी।
आइना उसे फिर से बुला रहा था , आओ आओ _अदिति ।
अदिति फिर आइने में घुस गई,आज फिर उसने अंकुर और सारिका को एक साथ देखा।अंकुर कह रहा था, कि पता नहीं आज अदिति कुछ अजीब सा व्यवहार कर रही लगता है, हमारे बारे में उसे पता चल गया है।
सारिका ने आश्चर्य से पूछा _ ऐसा कैसे हो सकता है?
अंकुर ने कहा तुम ठीक कहती थी,अब हमें उसे रास्ते से हटाना पड़ेगा।
कल सुबह ही कुछ करूंगा मैं,....फिर वे हैवान कि तरह हंसने लगे।
अचानक आइने में से आवाज़ आने लगी ,मार डालो अंकुर को मार डालो ,इससे पहले वो तुम्हें कुछ करे मार डालो।
आज अदिति सुबह अंकुर के आने के बाद अजीब सी घूरती नजर आ रही थी।
अंकुर ने पूछा क्या हुआ,अदिति तुम इस तरह क्यों घूर रही हो।
अदिति पागल की तरह चिल्ला उठी।तुम मुझे बेवकूफ समझते हो,रात रात सारिका के साथ होते हो,और बताते हो कि तुम ड्यूटी कर रहे हो ,तुम मुझे रास्ते से हटाओगे , मैं तुम्हें जिंदा नहीं छोडूंगी।उसने चाकू से अंकुर पर हमला कर दिया।
अंकुर सावधान ना होता, तो शायद आज कुछ बड़ी घटना घट जाती।
वह हैरान था।वह घर से निकल कर बाहर एक पार्क में चला गया।
वो परेशान था,अदिति के बारे में सोच सोच कर।
क्यों ऐसा व्यवहार किया अदिति ने?? एक बुजुर्ग बहुत देर से अंकुर को देख रहे थे,वे उसके पास आए।
उसके कंधे पर हाथ रखकर उससे पूछा क्या बात है??
मै तुम्हारी कुछ मदद कर सकता हूं क्या?
तुम यहां नए आए हो क्या? पहले कभी देखा नहीं?
हां।। ,मेरी पत्नी की तबीयत, यहां दिन पर दिन खराब हो गई है।
शायद उसे साईकाट्रिस्ट को दिखाना होगा।
ओह हो! तुमलोग यहां नए हो क्या?
जी हां_अभी हाल में ही मेरा तबादला हुआ है,जब आए तो सबकुछ ठीक था,हम यहां हर जगह घूमे ।
मेरी पत्नी तो यहां आने के लिए बहुत उत्साहित थी ,लेकिन अब उसमें मुझे अजीब परिवर्तन दिख रहा है,वो शक्की हो गई है ,आज तो उसने हद ही कर दिया ,वह मुझे मारने ही वाली थी,अगर मैं सतर्क न होता तो कुछ भी हो सकता था।
मुझे अब डर लग रहा है।
बुजुर्ग कुछ सोच में पड़ गए। फिर उन्होंने अंकुर से पूछा_
,क्या तुम लोग सोन गुफा के पास किसी बुढ़िया से मिले थे।
अंकुर ने कहा _ हां। उससे हमने एक आइना लिया था।
ओह !! यही जड़ है तुम्हारी पत्नी की बीमारी की।दिन पर दिन उसकी तबीयत बिगड़ती जाएगी ,वो एक दिन तुम्हारी हत्या भी कर देगी। वो आइना अब तक यहां बहुतों की जान ले चुका है।
यह जरासंध का शापित आइना है,।
इसमें सामने वाले को उसके प्रिय के बारे में गलत बातें दिखा कत्ल के लिए उकसाया जाता है।यह आइना शैतानी है ,इसे उस हत्या से और भी ताकत मिलती है।
अंकुर कुछ समझ नहीं पा रहा था।
क्या? तो सर इससे बचने का कोई तो उपाय होगा ?
तुम चुपचाप से उस आइने को एक सरोवर में डाल आओ।
बस यही रास्ता है_उस बुजुर्ग ने रास्ता बताया।
अंकुर घर लौटा ,अदिति कमजोर हो,बिस्तर पर औंधे मुंह लेटी थी।
अंकुर ने चुपचाप से आइना उतारा और उसे सरोवर में डाल आया।
दूसरे दिन उसने ऑफिस में अपने तबादले की अर्जी दे दी।
इन 20-25 दिनों में उसने और अदिति ने बहुत कुछ देखा और सहा।ऑफिस से उसका तबादला वापस से पटना कर दिया गया।
अब अदिति सामान्य हो चुकी थी।और दोनों एक खुशहाल जिंदगी जी रहे थे,लेकिन अदिति कभी कभी उस आइने को याद कर सिहर उठती थी ।
Shrishti pandey
30-Dec-2021 09:33 PM
Badhiya kahani
Reply
Abhinav ji
30-Dec-2021 09:10 AM
बहुत ही उम्दा कहानी
Reply
Sangeeta singh
30-Dec-2021 09:46 AM
धन्यवाद 🙏
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Sunanda Aswal
29-Dec-2021 02:11 PM
सुंदर कहानी लिखी आपने 🌺🤗
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